गरियाबंद। गरियाबंद के जंगलों में नन्हे हाथी शावक अघन की दर्दनाक मौत ने न केवल पूरे इलाके को गमगीन किया, बल्कि वन विभाग को भी झकझोर दिया। मात्र 700 रुपये के पोटाश बम ने मासूम अघन की जान ले ली, जो जंगली सूअरों के शिकार के लिए जंगल में लगाया गया था। अघन की मौत ने इंसान और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष पर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है।
लंबे इलाज के बावजूद वन विभाग नही बचा पाया अघन की जान
7 दिसंबर को अघन ने गलती से यह बम चबाया, जिससे उसके मुंह और जबड़े में गंभीर चोटें आईं। वन विभाग और विशेषज्ञों ने एक महीने तक उसे बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन अघन ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उसकी मौत के बाद, वन विभाग ने आरोपियों को पकड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक वरुण जैन के नेतृत्व में चलाए गए विशेष ऑपरेशन में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से सात जिंदा पोटाश बम बरामद हुए हैं। आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने 6 दिसंबर को चार बम जंगल में लगाए थे। इनमें से एक बम, जो शिकारियों के लिए मामूली हथियार था, मासूम अघन के लिए जानलेवा साबित हुआ।
वन विभाग ने इस मामले में छह आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें से तीन अभी भी फरार हैं। इनमें बम बनाने और बेचने वाला सप्लायर भी शामिल है। वरुण जैन ने बताया कि फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है।
मौत जो बदल गई एक मिशन में
अघन की मौत ने वन विभाग को गहरे दुख में डाल दिया, लेकिन इस घटना ने उनकी प्रतिबद्धता को और मजबूत कर दिया। विभाग ने न केवल आरोपियों को पकड़ने के लिए तेजी दिखाई, बल्कि वन्यजीवों की सुरक्षा के प्रति उनकी प्राथमिकता भी दर्ज कराई । हालांकि इस पूरी घटना ने पोटाश बम जैसे खतरनाक हथियार जो न केवल जंगली जानवरों, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गंभीर चुनौती बन चुके है इसके प्रति भी कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए है ।
इस घटना ने जंगली जानवरों की सुरक्षा को लेकर जवाबदेही तय करने का संदेश भी दिया है ।वन विभाग की यह कार्रवाई एक संदेश है कि जंगल और उसके निवासियों की सुरक्षा के लिए वे किसी भी हद तक जाएंगे। मासूम अघन की कुर्बानी हमें याद दिलाती है कि हर जानवर हमारे जंगल का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और उनकी सुरक्षा हमारा कर्तव्य है।
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