नई दिल्ली। 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियन गेम्स में कबड्डी में स्वर्ण पदक और 2015 के राष्ट्रीय खेलों में रजत पदक जीतने वाली पूजा ठाकुर ने नौकरी मिलने में आ रही दिक्कतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। अपनी खेल उपलब्धियों के बावजूद, ठाकुर को वादा किए गए सरकारी नौकरी पाने के लिए नौकरशाही की देरी को सालों तक सहना पड़ा।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की, “क्या आप खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हैं? किसी ने 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है; आपके मुख्यमंत्री को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए… खिलाड़ियों के साथ व्यवहार करते समय राज्य का यही दृष्टिकोण है।”
इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हाईकोर्ट के उस आदेश के विरुद्ध अपील को खारिज कर दिया, जिसमें ठाकुर को जुलाई 2015 में उनके द्वारा आरंभिक आवेदन की तिथि से ही आबकारी एवं कराधान अधिकारी के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था। हाईकोर्ट ने पहले एकल न्यायाधीश के निर्णय को बरकरार रखा था, जिसने ठाकुर को आवेदन की तिथि से वरिष्ठता सहित सभी परिणामी लाभ प्रदान किए थे।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने ठाकुर द्वारा दो मूल आवेदन दायर करने के बाद उन्हें प्रथम श्रेणी के पद पर नियुक्त करने में राज्य की अनिच्छा की आलोचना की थी।
हाईकोर्ट ने कहा, “अपीलकर्ताओं की ओर से विद्वान एकल न्यायाधीश द्वारा प्रथम प्रतिवादी को जुलाई 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री को आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि से आबकारी एवं कराधान विभाग में आबकारी एवं कराधान अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए दिए गए लाभ से इनकार करना अत्यधिक अनुचित है।”
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