रायपुर :- शासन प्रशासन द्वारा लोगों की जरूरत और आवश्यकता को देखते हुए साथ ही कार्यों में होने वाली समस्याओं और उसके समाधान के लिए कई विभाग बनाये हैं इसके लिए मंत्रालय से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक छोटे छोटे कई ईकाइयों में कार्यों का विभाजन किया गया है और कार्यों को करने के लिए कर्मचारियों और अधिकारियों की नियुक्ति की गई है फिर भी आम जनों का काम आसानी से नहीं हो पा रहा है जिम्मेदार कर्मचारी और अधिकारी छोटे- छोटे काम के लिए बेवजह लोगों को कार्यालय के चक्कर कटवाकर परेशान करते रहते हैं और उनका काम समय पर नहीं करते हैं !
कलेक्टर और मुख्यमंत्री जनदर्शन की आखिर आवश्यकता क्यों....
शासन प्रशासन के पास पर्याप्त मात्रा में सभी विभागों में कर्मचारी और अधिकारी हैं मौजूद हैं शासन प्रशासन के प्रतिनिधि ग्राम पंचायत के हर एक वार्ड में तैनात हैं फिर भी लोगों को अपने छोटे छोटे कामों के लिए भटकना पड़ रहा है!
राज्य के सभी जिलों में प्रत्येक सप्ताह कलेक्टर जनदर्शन लगाया जा रहा हैं जहाँ पर जिला के कोने कोने से शासन प्रशासन के सिस्टम से पीड़ित आम जन अपनी समस्या को लेकर जिला के मुखिया कलेक्टर साहब के पास फरियाद करने पहुंचते हैं कलेक्टर जनदर्शन में अधिकतर लोगों की जो समस्या देखने को मिलती है उसमें जमीन का सीमांकन, फौती नामांतरण, जमीन का बंटवारा, ऋण पुस्तिका का नहीं बनना, राशन नहीं मिलना, राशनकार्ड नहीं बनना, पेंशन नहीं मिलना, प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिलना, मनरेगा मजदूरी का भुगतान नही होना, सार्वजनिक हितों के कामों में भ्रष्टाचार का होना, लोगों को मूलभूत सुविधा का नहीं मिल पाना, जिम्मेदार कर्मचारियों की अपने कर्तव्यों के प्रति जवावदेही नहीं होना, पुलिस और आबकारी विभाग द्वारा कानून और जेल का भय दिखाकर प्रताड़ित करने का आरोप की शिकायत लेकर शिकायत करते हैं! जब की इन कामों के लिए शासन प्रशासन के द्वारा कर्मचारी और अधिकारीयों की नियुक्ति की गई फिर भी लोगों को अपने काम के लिए भटकना पड़ रहा है ये किसी विडम्बना से कम नहीं है!
कलेक्टर जनदर्शन में क्या काम होने की है गारंटी ?....
लोग अपनी छोटी छोटी समस्याओं को लेकर कलेक्टर जनदर्शन में इस उम्मीद से आते हैं की कलेक्टर साहब हमारी काम को करवा देंगे लेकिन प्रशासन की "कलेक्टर जनदर्शन योजना " में शिकायत आवेदन देने के बाद कितने दिनों में काम होने की जवाबदेही तय नहीं है जांच और प्रक्रिया में महिनों सालों तक उलझा रहता है और इसकी जानकारी आवेदक को भी नहीं दी जाती है जिसके कारण लोगों के मन से कलेक्टर जनदर्शन से विश्वास और मोह माया भंग हो रहा है और जनता शासन प्रशासन के इस सिस्टम के आगे हारने को मजबूर हो गयें है! यूँ कहा जाये तो क्या जिला के कलेक्टर साहब, कलेक्टर जनदर्शन में केवल खानापूर्ति कर रहे हैं?
मुख्यमंत्री जनदर्शन में भी लोग राज्य के कोने कोने से अपनी समस्याओं की फरियाद लेकर पहुंचते हैं लेकिन वहाँ भी क्या लोगों को न्याय नहीं मिल पाता है बड़ा सवाल है? जिस दिन मुख्यमंत्री जनदर्शन होना होता है उस दिन मुख्यमंत्री जी का प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं और मुख्यमंत्री जनदर्शन स्थगित कर दिया जाता हैं मुख्यमंत्री जनदर्शन के आवेदनों को भी कर्मचारी और अधिकारी कोई खास महत्व नहीं देते हैं और गोलमाल जवाब प्रतिवेदन बनाकर शासन प्रशासन को गुमराह कर देते हैं! जानकारों और सूत्रों की माने तो लोगो के साथ कलेक्टर जनदर्शन और मुख्यमंत्री जनदर्शन छलावा साबित हो रहा है जब तक कार्यों को करने के लिए समय अवधि का निर्धारण और जवाबदेही तय नहीं होगी तब तक आम लोग शासन प्रशासन सिस्टम के आगे नग्मस्तक होते रहेंगे!
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