बिलासपुर। राजधानी रायपुर के प्रयास आवासीय विद्यालय में किताब और बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर छात्रों ने सड़क पर प्रदर्शन किया था। इस घटना को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने गंभीरता से लिया है। राज्य शासन के जवाब से नाराज चीफ जस्टिस ने पूछा कि स्कूली बच्चों को अभी से ही यूनियन लीडर बनाने की सोच रहे हैं क्या। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 22अक्टूबर की तिथि तय कर दी है।
जनहित याचिका में बीती सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने कहा था कि, मामले को संबंधित प्राधिकारी द्वारा संज्ञान में लिया गया है। महाधिवक्ता ने यह भी कहा था कि, जिस तरह छात्र विरोध जताने सड़क पर उतर रहे हैं। हम यह समझने में विफल रहे हैं कि, संस्थान का प्रबंधन क्या कर रहा है और छात्रों को विरोध करने के लिए सड़क पर आने की अनुमति क्यों दी जा रही है। जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई।
इस मामले को लेकर चीफ जस्टिस की नाराजगी भी सामने आई। नाराज सीजे ने यहां तक कहा कि, यह उचित नहीं। प्रबंधन आखिर कर क्या रहा है। बच्चों को समुचित सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं कराई जा रही है। सड़क पर उतरने क्यों मजबूर हो रहे हैं। बीती सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने मुख्य सचिव को शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे। डिवीजन बेंच ने यह भी कहा था कि भविष्य में ऐसी कोई घटना इस न्यायालय के संज्ञान में न आए और यदि संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं की कमी में कोई अनियमितता है, तो छात्र अपने अभिभावकों के माध्यम से संबंधित प्राधिकारी से संपर्क कर सके, ऐसी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए।
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि, राजधानी रायपुर के प्रयास आवासीय विद्यालय में किताबों और बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर छात्रों ने सड़क पर प्रदर्शन किया था। मीडिया में इस खबर को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया गया था। जिसके बाद इस पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई प्रारंभ की है। नाराज कोर्ट ने शासन से पूछा कि, स्टूडेंट्स को विरोध करने के लिए सड़क पर आने की अनुमति क्यों दी जा रही है।
प्रकाश शर्मा के अपहरण व हत्या मामले की अपील ख़ारिज, हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को ठहराया सही
वहीं प्रकाश शर्मा के अपहरण व हत्या के मामले को निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि, परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला को अभियोजन ने बिना किसी चूक के पूरी तरह स्थापित किया है।
मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने परिस्थितिजन्य साक्ष्य के बारे में स्थापित सिद्धांतों को दोहराया है। कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों का उल्लेख भी किया है। कोर्ट ने कहा कि, परिस्थितिजन्य साक्ष्य की एक ऐसी श्रृंखला बनानी चाहिए जो इतनी पूर्ण हो कि उसमें अभियुक्त के अपराध के अलावा किसी अन्य परिकल्पना के लिए कोई जगह न बचे। परिस्थितियों को पूरी तरह से स्थापित किया जाना चाहिए और सभी तथ्य अपराध की परिकल्पना के साथ इतने सुसंगत होने चाहिए कि वे निर्दोषता की किसी भी संभावना को नकार दे। तर्क को खारिज करते हुए कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य उनके अपराध की ओर निर्णायक रूप से इशारा नहीं करते हैं। डिवीजन बेंच ने विशेष रूप से नोट किया कि अमृत शर्मा के उस बयान को अविश्वसनीय माना है जिसमें उसने अज्ञात हमलावरों द्वारा उसके घर में घुसने और उसके चचेरे भाई के साथ उसे बांधकर रखा गया था। मृतक प्रकाश शर्मा का शव अमृत के कमरे में मिला था। भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के तहत अपने आपको निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी अमृत की थी। अपराध से बचने के लिए झूठा बयान दिया है जो किसी भी तरह से भरोसे के लायक नहीं है।
जानिए क्या था पूरा मामला ?
बता दें कि, 16 अप्रैल 2018 को रायपुर में मृतक प्रकाश शर्मा के चचेरे भाई अमृत शर्मा ने भोजराज नंद, अनिल कुमार बेहरा और चित्रसेन बेहरा के साथ मिलकर फिरौती के लिए प्रकाश का अपहरण करने की साजिश रची। उनका इरादा प्रकाश के पिता सत्यनारायण शर्मा से दो करोड़ रुपये बतौर फिरौती वसूलने का था। लेकिन उनकी योजना तब विफल हो गई जब उन्होंने प्रकाश को क्लोरोफार्म दिया, जिससे दम घुटने से उसकी मौत हो गई। सभी आरोपितों को छठे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, रायपुर ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 34 (साझा इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कृत्य) के तहत दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
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