"वर्तमान परिपेक्ष में मजबूत लोकतंत्र,आम चुनाव,युवा एव मतदाता जागरुकता"

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 "अच्छा हो नेता जहां,अच्छा हो मतदाता।  यही दोनों हैं आज, आधुनिक राष्ट्र निर्माता" सभी देश विशेषतः युवा वर्ग से यही आशा रखते हैं कि वे अपने देश को दिन-प्रतिदिन उन्नति की ओर ले चले। युवा वर्ग के एक तरफ छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो युवा वर्ग से प्रभावित होते रहते हैं और उनका अनुसरण करते हैं। दूसरी ओर बुजुर्ग पीढ़ी होते हैं जो युवा वर्ग की शक्ति और अत्याधुनिक ज्ञान के साथ-साथ उनके साहस और कर्तव्यों पर विश्वास रखते हैं। इसलिए स्वाभाविक है कि ये दोनों वर्ग युवा वर्ग से अपेक्षा कर रहे हैं कि वह अपनी पूरी शक्ति लगाकर देशों को उन्नति की ओर ले चले। आज का युवा वर्ग स्वयं की उन्नति के पथ से हट जाये तो सभी का चिंतन चलना स्वाभाविक ही है। इसलिए इन आशाओं के दीपक युवा वर्ग को कैसे सदा क्रियाशील रखा जाये? इस पर हमें सोचना चाहिए। निश्चित ही आज अनेक युवक और युवतियां अनेक प्रकार के ज्ञान एवं विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे आ गये हैं। दूसरी ओर इनमें नैतिक मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है। आज वह हिंसा, आक्रोश,नारी दमन,तोड़फोड़, मादक द्रव्यों का सेवन,भोग विलास एवं तृष्णा इत्यादि बुरी आदतों का शिकार है,केवल युवा ही नहीं बल्कि संपूर्ण समाज ही इस दल-दल में फंसता जा रहा है और इसके परिणाम स्वरुप परिवार एवं समाज मेंआपसी मतभेद एवं जाति भेद,रंग भेद बढ़ता ही जा रहा है,इसी के परिणाम स्वरुप सुंदर बोलचाल तथा सद्भावना समाप्त हो रही है समाज में छोटे-बड़े,अमीर- गरीब,छूत-अछूत का भेद भारतीय लोकतंत्र पर सदैव प्रश्न चिन्ह लगता रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा है- 'लोकतंत्र जनता का, जनता द्वारा,जनता के लिए शासन है' अर्थात ऐसी शासन प्रणाली जिसमें सत्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता के हाथ में होती है उसे लोकतंत्र या प्रजातंत्र कहते हैं। लोकतंत्र में आम जनता के द्वारा चुना गया प्रतिनिधि राज्य के कार्यों का संचालन करते हैं। चुने गये प्रतिनिधियों का कर्तव्य होता है कि वे संविधान में वर्णित लोग कल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन करें। संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन न होने दें तथा जनता का भी कर्तव्य बनता है कि वह संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों का पालन करें। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। आपका कर्तव्य ही दूसरे का अधिकार है। बिना कर्तव्य के अधिकार का अस्तित्व नहीं। हमें सांप्रदायिकता,पृथकता,जातिवाद,गुटवाद, क्षेत्रीयता,हिंसा एवं धन प्रलोभन और पद प्रलोभन के संकीर्ण माहौल से ऊपर उठकर अच्छे कार्य करने चाहिए जिससे राष्ट्र की एकता,अखंडता और प्रभुसत्ता बनी रहे। इसलिए नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं का सम्मान करने वाले ऐसे नेता को ही अपना मत देना चाहिए,जो अच्छे नेतृत्व प्रदान करते हुए जनहित और राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देता हो बनिष्पत अति स्वहित को। इसलिए मैं यही कहना चाहता हूं कि- 
"हमें जो देगा नोट।
 उसको न देंगे वोट।" की भावना से आम चुनाव में भाग लेना चाहिए। प्रत्येक मतदाता को अपना अमूल्य मत अवश्य डालना चाहिए। 
"गांव शहर का ज्ञान हो,
 पूरा-पूरा मतदान हो।" इस वाक्य को यदि फलीभूत करने के लिए समस्त मतदाता जागरूक होंगे तभी श्रेष्ठ नेता का चयन संभव हो पाएगा। आज लोकतंत्र में जागरूक युवाओं की आवश्यकता है। युवा जागरुक होकर जनमत तैयार करें समाज के सर्वांगीण विकास में। समाज के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है,योग्य नेताओं का चुनाव। योग्य नेता ही समाज को सही दिशा दे सकता है। नेता की योग्यता ही संपूर्ण जनता की योग्यता को दर्शाती है। युवाओं को चाहिए कि वे ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव करें जो युवाओं के लिए सच्चे हितैषी हो,योग्य हो,व्यवहार कुशल एवं मिलनसार प्रकृति का हो,तर्कसंगत बात करने की योग्यता रखता हो,अंचल की समस्या को सदन में रख सकता हो और युवाओं को नेतृत्व प्रदान करने की क्षमता रखता हो। युवाओं को सशक्त नेतृत्व वही प्रदान कर सकता है जो स्वत: युवा है।
  "सावधान रहना उनसे जो, ठगते धोखा देकर।
आओ वोट दें सद्भावना और विकास ध्येय को लेकर।"
 सैद्धांतिक रूप से निष्पक्ष मतदान भी आज व्यावहारिक रूप से कठिन होती है। अनेक सत्तासीन एवं सत्ताविहीन लोग मतदाताओं को कई तरह से दिग्भ्रमित करने का प्रयास करते हैं तथा पैसे का लालच देकर वोट को खरीदना चाहते हैं। धमकी भी देते हैं तथा मतदान केंद्र पर जबरदस्ती कब्जा करते पाये जाते हैं। ऐसे अवसर युवाओं का महती कर्तव्य बनता है कि वे अपने मत का प्रयोग सदैव सोच समझकर करें तथा आम जनता को निडरता से मतदान करने तथा सभी नागरिकों को मतदान करने के लिए प्रेरित करें। उन्हें बतलाएं की आपका एक मत लाख-लाख रुपए से भी ज्यादा कीमती है। ' सोने की चिड़िया कहलाने वाला हमारा देश'और 'धान का कटोरा कहलाने वाला हमारा प्रदेश'आज लोकतंत्र के लिए चुनौतियां पर युवाओं को आदर्श मान सकता है। युवा ही प्रजातंत्र की नींव हैं और युवा ही प्रजातंत्र का रक्षक है। किसी भी प्रजातंत्र की सफलता युवाओं की जागरूकता पर निर्भर करती है। सभी युवाओं को मन में दृढ़ निश्चय करना होगा कि वे लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए अपनी योग्यता का परिचय देंगे। 'समाजवादी विचारकों के चिंतन एवं कार्य- पद्धति को हमेशा सामाजिक विकास को सकारात्मक दिशा की ओर गति देने के लिए दृढ़तापूर्वक अमल में लाना होगा।' इस उक्ति को सही मायने में समाज के हित हेतु आम चुनाव के समय युवा एवं सामान्य मतदाता को ध्यान में रखना चाहिए। अंत में मैं मजबूत लोकतंत्र के लिए यही आह्वान करता हूं- 
"विकास में जो सहयोगी बने,
और जो तुमको भाता।
मतदान करो उसी को,
हे! जागरूक मतदाता।"

प्रोफेसर प्यारेलाल आदिले
प्रसिद्ध शिक्षाविद व चिंतक 
बरपाली,कोरबा

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